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जमाख़ोरी/कालाबाजारी या उत्पादों की टैगिंग बर्दाश्त नहीं की जायेगी, डिफालटरों के लायसेंस होंगे रद्द

Web Desk-Harsimran
चंडीगढ़, 6 नवंबर  (ओजी इंडियन ब्यूरो)- रिटेल डीलरों और (प्राथमिक एग्रीकल्चर कोआपरेटिव सोसायटियों) से सम्बन्धित अनावश्यक उत्पादों की टैगिंग कालाबाजारी से बचना चाहिए। यह प्रगटावा रिटेल डीलरों और सोसायटियों पर सख्ती करते हुये आज पंजाब के कृषि मंत्री रणदीप नाभा ने किया। उन्होंने कहा कि एफसीओ- 1985 के अनुसार डीएपी से ग़ैर-ज़रूरी वस्तुओं को जमाख़ोरी /कालाबाजारी या टैग करने वाले डीलर /पीएसीएस के विरुद्ध सख़्त कार्यवाही की जायेगी। ऐसी बेनियमिताओं में शामिल पाये गए रिटेलरों /पीएसीएस का लायसेंस रद्द कर दिया जायेगा।
पंजाब में डीएपी की उपलब्धता संबंधी जानकारी देते श्री रणदीप नाभा ने कहा कि राज्य को रबी 2021-2022 के दौरान कुल 5.50 लाख मीट्रिक टन डी.ए.पी. निर्धारित हुई थी। अक्तूबर 2021 के लिए अलाट किये 1.97 में से 1.51 प्राप्त हुआ। नवंबर 2021 के दौरान 2.56 अलाट किया गया है। अब तक कुल 1.60 प्राप्त हो चुकी है। 6 नवंबर, 2021 तक पंजाब के विभिन्न जिलों में 0.67  उपलब्ध है। 15 नवंबर, 2021 तक डीएपी के 50 रैक प्राप्त करने की योजना बनाई गई है। नवंबर 2021 के दौरान डीएपी के सात रैक (18304 मीट्रिक टन) लुधियाना, जालंधर, तरन तारन, अबोहर, मुक्तसर और रामपुरा फुल में प्राप्त हुए हैं। डीएपी के 12 रैक (34558 मीट्रिक टन) अमृतसर (2), रोपड़, बटाला, लुधियाना (3), राजपुरा, तरन तारन, जालंधर, मुक्तसर और सुनाम में पहुँचाए जाने के लिए यातायात अधीन हैं। 18 रैक (50,000) भारतीय रेलवे में इंडेंट किये गए हैं और 15,2021 नवंबर तक प्राप्त होने की उम्मीद है।
श्री नाभा ने आगे बताया कि हर साल अगस्त से डी.ए.पी की मात्रा का निर्धारित की जाती है। पिछले साल के मुकाबले इस साल लगभग 1.50 की कमी देखी गई है। क्योंकि डीएपी की अपेक्षित मात्रा उपलब्ध नहीं है। राज्य सरकार राज्य में डीएपी लाने के लिए पूरे यत्न कर रही है। डीएपी की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में ऊँची हैं और इसकी अपेक्षित मात्रा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उपलब्ध नहीं है। फास्पैथिक ज़रूरतों को पूरा करने के लिए डीएपी के साथ एनपीके और एसएसपी जैसी वैकल्पिक फास्फेटिक खादों का प्रयोग किया जाना चाहिए। राज्य के विभिन्न जिलों में लगभग 0.34 एलएमटी एनपीके और 0.57 एलएमटी एसएसपी उपलब्ध है।
श्री नाभा ने रिटेलरों, सहकारी सभाओं और यहाँ तक कि निजी किसानों को भी अपील की कि वह ग़ैर-ज़रूरी तौर पर डीएपी का ग़ैर-कानूनी भंडारण न करें, जो राज्य के किसानों में घबराहट और बेचैनी का कारण हो सकता है।

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